जिस तरीके से आज पूरी दुनिया कार्बन उत्सर्जन को कम करने में लगी हुई है। वहीं दूसरी ओर पूरी दुनिया कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सबसे जरूरी चीज पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों को कम करने में लगी हुई है क्योंकि पूरी दुनिया में ज्यादातर कार्बन का उत्सर्जन पेट्रोल और डीजल से चलने वाली वाहनों के वजह से ही होती है।
यही कारण है की पूरी दुनिया इलेक्ट्रिक वाहन को प्रमोट करने के लिए कई सारी वहा के सरकार द्वारा योजना चलाई जा रही है। इसी प्रकार भारत सरकार द्वारा भी इलेक्ट्रिक वाहन को प्रमोट करने के लिए कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं आज हम आपको बताने वाले हैं कि भारत सरकार ने हाल ही में नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति लाई है। जिसके वजह से अब इस क्षेत्र में अलग क्रांति आने वाली है। तो चलिए जानते हैं आज हम इसी नीति के बारे में।
25% भारत में बने कंपोनेंट का करना होगा इस्तेमाल
भारत सरकार में हाल ही में एक नई इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी लेकर के आई है। जिसके अंतर्गत यह कहा गया है कि अब कोई भी कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट सिर्फ ₹4,150 करोड़ में लगा सकती है।
लेकिन सबसे बड़ी शर्त यह होगी कि किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी के द्वारा उसमें लगने वाले कंपोनेंट में लगभग 25% कंपोनेंट ऐसे होने चाहिए जिसका निर्माण भारत में हुआ है। जो देखा जाए तो भारत के द्वारा बनाए गए कंपोनेंट का इस्तेमाल होने की वजह से और भी कई सारी इंडस्ट्री डेवलप होगी। वही मेड इन इंडिया नारा को भी बुलंद किया जा सकेगा।
देश में विकाशित होगी इलेक्ट्रिक वाहन सिस्टम
इस नीति के तहत भारत सरकार की ओर से भारत में मैन्युफैक्चर होने वाली कॉम्पोनेंट पर पूरी तरीके से फोकस किया गया है। इससे भारत के लोगों को रोजगार और इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। क्योंकि भारत आज के वर्तमान समय में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार के रूप में मौजूद है।
अगर इस बाजार में भारत खुद के द्वारा बनाई गई कॉम्पोनेंट सेल करेंगे तो भारत को काफी हद तक मुनाफा होने वाला है। इसके साथ ही इस पॉलिसी के तहत भारत में इलेक्ट्रिक वाहन सिस्टम को काफी विस्तृत रूप से डेवलप किया जा सकेगा।
आयत पर लगाए गए कुछ प्रतिषेध
आपको भारत के बाजार में ज्यादा चीज देखने को मिलती होगी कि दूसरे देश से बना करके इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल को भारत के बाजार में बेचा जा रहा है। ऐसे में भारत के द्वारा बनाई गई प्रोडक्ट के मार्केट में सेल्स कम हो जाती है।
इसके वजह से भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि विदेशों से आयात के जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर काफी हद तक शुल्क लगाया जाएगा, जो की 70% से लेकर के 100% तक होगी। वहीं भारत में विदेश से हर साल सिर्फ 40,000 के आसपास इलेक्ट्रिक कार की आयात की जायेगी।